नैनीताल में निर्माण पर लग सकती है पाबंदी

नैनीताल में निर्माण पर लग सकती है पाबंदी

 नैनीताल: जोशीमठ में भूधंसाव से हजारों की आबादी पर आए खतरे के बाद अब नैनीताल जैसे संवेदनशील शहर पर मंडरा रहे खतरे को लेकर भी सरकारी तंत्र चौकन्ना हुआ है।

विशेषज्ञों के अनुसार नैनीताल की भार वहन क्षमता 2011 में ही समाप्त हो चुकी है, जो करीब 50 से 60 हजार आबादी की है। खतरे को भांपते हुए हुए अब जिला विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने प्राधिकरण क्षेत्र में बिना भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट के निर्माण पर पाबंदी के आदेश पर सख्ती से अमल करने व इसकी नियमित निगरानी के निर्देश दे दिए हैं।

दरअसल शहर की जैव विविधता के संरक्षण व भूगर्भीय संवेदनशीलता को समझते हुए ब्रिटिशकाल में वर्ष 1942 में एरिया निर्धारण करते हुए निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिए। ब्रिटिशकाल में शहर की 26 डिग्री स्लोप से अधिक की पहाड़ी पर निर्माण पर प्रतिबंध लगाया गया। 1880 के भूस्खलन में 141 नागरिकों के मारे जाने व बड़े पैमाने पर जानमाल के नुकसान के बाद अंग्रेजों ने प्रतिबंधों को और सख्त कर दिया था।

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इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार 1880 में भूस्खलन के बाद अंग्रेजों ने शहर को सुरक्षित, असुरक्षित व खतरे वाले जोन में बांट दिया था। इसमें स्थिर जोन, अस्थिर जोन व आंशिक स्थिर जोन बना दिया।

स्थिर यानी स्टेबल जोन में मकान बनाने की अनुमति थी तो आंशिक स्थिर जोन में मकान मालिक को अपने रिस्क पर निर्माण की अनुमति दी जाती थी। आपदा आने पर ऐसे भवनों को मुआवजा देय नहीं था। सुरक्षित जोन में भी दो मंजिला से अधिक भवन निर्माण की अनुमति नहीं थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे सख्त आदेश
1993 में प्रो. अजय रावत की जनहित याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने नैनीताल के अतिसंवेदनशील बलियानाला का ट्रीटमेंट युद्धस्तर पर करने, नैनी झील को प्रदूषण मुक्त बनाने तथा अस्थिर क्षेत्र में दोमंजिला भवन की अनुमति प्रदान करने तथा नैनीताल में मल्टीस्टोरी निर्माण पर पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था।

लेकिन राज्य बनने के बाद पहले झील विकास प्राधिकरण की दोषपूर्ण कार्यप्रणाली की वजह से नैनीताल में असुरक्षित व ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में न केवल बड़े पैमाने पर आवासीय व व्यावसायिक निर्माण की अनुमति दी गई।

यहां तक कि संवेदनशील व अतिसंवेदनशील पहाड़ियों में सीमेंट के बैग पर मिट्टी व रेता भरकर चिनाई कर भवन खड़े होते गए। जिसे हाई कोर्ट भी पर्यावरण के लिए खतरनाक करार दे चुका है, लेकिन प्राधिकरण की कार्रवाई खानापूर्ति तक सीमित है।

2011 में खत्म हो चुकी है भार क्षमता
प्रो. रावत के अनुसार नैनीताल की भार वहन क्षमता करीब 60 हजार आबादी की है, जो 2011 में समाप्त हो चुकी है। विशेषज्ञों की ओर से सरकार व सरकारी एजेंसियों को इसकी जानकारी दी है लेकिन इसके बाद भी यहां नियमों को तोड़मरोड़ कर निर्माण हो रहे हैं। नैनीताल की पर्यावरणीय जरूरत भी बढ़ रही है।

भारतीय मानकों के अनुसार प्रत्येक नागरिक को 2.3 हेक्टेयर भूमि की जरूरत है। इसमें भूमि के अलावा अन्य जरूरतें शामिल हैं लेकिन अब हमारी जरूरत घटकर 1.9 हेक्टेयर रह गई है। हमारे रहन-सहन का स्तर अमेरिकन हो गया। जबकि अमेरिका में प्रत्येक नागरिक के पास 9.5 हेक्टेयर भूमि है। सरकारों को आबादी पर नियंत्रण की दिशा में काम करना चाहिए।

सख्ती से लागू होगा प्रतिबंध
मंडलायुक्त व जिला विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष दीपक रावत के अनुसार डीडीए ने नैनीताल के प्राधिकरण के पर्वतीय क्षेत्र में निर्माणों पर भू वैज्ञानिक की रिपोर्ट के बाद अनुमति देने का प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने बोर्ड बैठक के कार्यवृत्त में शामिल कर प्रस्ताव पारित कर दिया है। इसका अब सख्ती से अमल किया जा रहा है, साथ ही मानिटरिंग भी की जाएगी।

नैनीताल श्हर की स्थिति-एक नजर में

  • नैनीताल में लगभग आवासीय व व्यावसायिक भवन- करीब 6000 (नगरपालिका रिकार्ड के अनुसार)
  • नैनीताल में होटल-होम स्टे (पर्यटन विभाग में पंजीकृत) - करीब 300,
  • नैनीताल की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार -41,377
  • नैनीताल की आबादी वर्तमान में लगभग- 55 से 60 हजार
  • नैनीताल की फ्लोटिंग आबादी- करीब साढ़े तीन लाख। (इसमें करीब डेढ़ लाख पर्यटक सालाना। इसके अलावा हाई कोर्ट समेत अन्य संस्थान कर्मचारी, वादकारी, फरियादी व घुमंतु आबादी, पर्यटक व अन्य वाहन आदि)
  • नैनीताल की भार क्षमता लगभग- 50-60 हजार आबादी की।
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